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November 21, 2024 6:26 AM

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BHU acts of students’ thrashing is being condemned all over India

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SUNIL NEGI
Whatever is happening and happened in Banaras Hindu University makes us hang our heads in shame. Can’ t believe that in a vibrant democracy a vice chancellor can be so autocratic, authoritarian, anti student,dictatorial,inhuman and harsh that in an University founded by late Madan Mohan Malviya the students community, particularly the girls are ordered to be physically thrashed and tortured thus throwing all the university and constitutional norms and decency to winds. Shame. Jere is a whatsapp message send on Press club of India’s whatsapp account for your kind perusal.
ताज़ा हाल
पत्रकार Siddhant Mohan BHU से :
“आज रविवार के दिन बीएचयू में कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है. मैं तीन-चार लाठियां खाने के बाद थोड़ी दूरी पर बैठा हुआ हूं. सुना है कि अमर उजाला का कोई फोटोग्राफर भी लाठियां खाकर बैठा है. यह मीडिया पर भी हमला है, लेकिन मैं उन लड़कियों के लिए चिंतित हूं जो कल रात से लगातार फोन कर रही हैं.
लड़कियों के हॉस्टल के गेट बाहर से बंद कर दिए गए हैं. कल रात की पिटाई में पुलिस ने छात्राओं के साथ-साथ किसी-किसी वार्डेन को भी पीट दिया. अब लड़कियों को कहा जा रहा है कि जिसको भी दुर्गापूजा की छुट्टी के लिए घर जाना है, आज ही निकल जाओ.
ऐसे में कुछ लड़कियों-लड़कों ने हिम्मत की है निकलने की तो कैम्पस में मौजूद सीआरपीएफ और पीएसी के जवान पीटने लग रहे हैं. स्थिति गंभीर है. बीएचयू का आधिकारिक बयान कह रहा है कि “राष्ट्रविरोधी ताकतें राजनीति कर रही हैं”. शायद बलात्कार और यौन शोषण का विरोध करना राष्ट्रविरोध राजनीति है, ऐसा मुझे हाल के दिनों में पता चला है.
बहुत सारे लोग बाहर से जुट रहे हैं. बहुत सारे लोग अंदर जुटना चाह रहे हैं तो कुलपति त्रिपाठी उन्हें पिटवा दे रहा है. कल रात का मुझसे किया गया वादा कि “भईया, हम लोग सुबह फिर से गेट पर बैठेंगे”, धीरे-धीरे टूट रहा है. अब एक नया संकल्प है कि छुट्टी के बाद फिर से आंदोलन करेंगे. हो सकता है कि ऐसा कुछ हो. लेकिन ऐसा नहीं भी हो सकता है. तीन अक्टूबर तक बहुत कुछ बदल जाएगा.
अपनी बेटियों, पत्नियों, प्रेमिकाओं से कहिए ज़रूर कि लड़कियां लड़ रही हैं. मैं भी कह ही रहा हूं. मैंने लिखने वाली नौकरी पकड़ी है, लेकिन इतना तो भीतर बचा है कि कभी भी इन लड़कियों के लिए खड़ा हुआ जाए. इस वादे पर नहीं टिका तो घंटा जिएंगे?
इस कैम्पस के अंदर की प्रगतिशील आत्माएं मर गयी हैं. कोई अध्यापक गेट तक नहीं आया. एक साथ बीस अध्यापक भी गेट पर आ गए होते तो ये लड़कियां उन्हें जीवन भर के लिए अपना शिक्षक मानतीं. इन अध्यापकों का विश्वविद्यालय प्रशासन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कुछ न कर पाता.
ये एक बार और क्यों न लिखा जाए कि यहां कोई राजनीतिक दल या विचारधारा शामिल नहीं है. कई लोग जुट रहे हैं आज. कई लोगों को जुटना भी चाहिए. क्या होगा नहीं पता? लेकिन बदलाव लाने का एक तो उजाला अब दिखने लगा है.”

Sunil Negi hails from Uttarakhand and is a veteran journalist and author. He is a prolific writer and has carved a name for himself in the media world. He received the 'Golden Achiever Award' in the '90th AIAC Excellence Awards 2019' for his book ''Havoc in Heaven'' based on the tragedy that struck Uttarakhand in which thousands of people lost their lives. He is also the President of Uttarakhand Journalists Forum and majorly writes on Politics, Current Affairs, and Social Issues.

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